पंडित श्याम लाल शर्मा जी; उनके साथ बचपन की कुत्छ यादें :
श्याम लाल जी के हमारे परिवार के साथ बड़े घनिष्ट संबंध थे ! उनके पिताजी, श्री नथूमल जी , मेरे बाबा , श्री राम स्वरूपमाल जी के साथ काम करते थे , बाबा जी को लिखना पढ़ना नहीं आता था , लिखने पढ़ने का सारा काम , उनकी ज़मींदारी का , स्याम लाल जी के पिताजी ही संभालते थे ! हम सब लोगों का उनसे और उनके परिवार से बड़ा घनिष्ट संबंध था ! बचपन से ही में उनसे , उनके परिवार से लगभग दैनिक रूप से ही मिलता जुलता रहता था ! वह सब लोग भी हमारा बहुत ख्याल रखते थे, बहुत पियार करते थे !
बचपन की उनके साथ की बहुत सी यादें हैं, परन्तु यहाँ केवल कुत्छ ही दे पाउँगा ! श्याम लाल जी बचपन से ही बहुत बुद्धीमान थे , यदि उनको ठीक से शिक्षा और अवसर मिले होते तो वह भी सफल ेइंजीनियर होते ! राम ओ तार जी की चक्की पर काम करते थे! चक्की पर केवल आटा ही पिस्ता था , श्याम लालजी ने दूसरे कमरे में धान कूटने की मशीन लगा दी , फिर कुत्छ दिनों के बाद, रुई धुनने की मशीन उसी दूसरे कमरे में लगा दी ! चक्की को चलने बिजली के मोटर के पटे तथा उनकी दिशा बदल कर , अलग अलग प्रकार से एक ही मोटर से काम करते थे ! रुई धुनने की मशीन झालु में पहली और आखरी बार आई होगी !
चककी के ऊपर जुगाड़ लगा कर अपने आप से बनाकर चार पंखड़ी का पंखा भी लगा दिया था ! यह सब देख कर मुझे बचपन में बहुत अध्भुत लगता था ! कौनसी मशीन लगनी है, कान्हा से आएगी , कैसे चलेगी, यह प्रश्न , उस समय के लिए बड़े कठिन थे परन्तु, शयाम लाल जी यह सब करते रहते थे!
कुत्छ समय बाद उन्होंने अपना साइकिल सुधारने, किराये पर देने का कार्ये शुरू किया, धीऱे धीरे , गैस की लालटैन , शादियों में गैस की लालटेन तथा लाउडस्पीकर किराये पर देने लगे ! रिपेयर का काम तो किसी भी प्रकार का हो , आज भी कर लेते हैं ! किसी भी प्रकार की कोई भी चीज़ हो, जुगाड़ लगा कर ठीक कर ही लेते हैं!
उनकी बुद्धि व् क्षमता को में नमन करता हूँ !
अभी , झालु में सब से अधिक आयु के हैं ! वरिष्ठ , सम्मानित व्यक्ति हैं! इस वर्ष, २०२२, गणतन्तंर दिवस पर , उनसे धव्ज आरोहण कराया गया , सम्मानित किया गया ! उनके के लिए दीर्ध आयु की कामना करते है ! ,