विकास
की ओर अग्रसर होते रहना, मनुष्य का स्वाभाविक गुण है| जन्म से लेकर अंत तक
मनुष्य, विकास के प्रयास में ही लगा रहता है | शारीरिक, भौतिक , मानसिक ,
भावात्मक , बौद्धिक विकास तो, जन्म के साथ ही प्रारम्भ हो जाता है | आयु
के साथ साथ
आर्थिक एवम अध्यात्मिक विकास भी होता जाता है| समय तथा परिस्थिति के
अनुसार वह अपने इस प्राक्रतिक गुण का भी विकास करता जाता है| इस के लिए
वह निरन्तर प्रयास भी करता रहता है; उसके लिए वह, स्कूल जाता है, शिक्षा
प्राप्त करता है, उच्च शिक्षा प्राप्त करता है; अपने ज्ञान को, तथा
व्यवसायिक बुद्धि का विकास करता है; अपने व्यवसाय में आगे बढ़ता जाता ! कही
भी बाधा आने पर
असंतुष्ट हो जाता है जब कि उसे सफलता के साथ साथ सुख और शांति की अनुभूति
होती है| यह क्रम निरंतर चलता ही रहता है!
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