झालू के पास एक गाँव है, त्रिलोकपुर ! वाहं , मेरे एक शुभ चिंतक रहते थे जो मेरे बचपन से ही मेरे साथी थे , मेरी देख रेख भी करते थे ! मुझसे , उन्हें बहुत लगाओ था ! यदा कदा , मुझ से मिलने आते रहते थे ! जाट परिवार से थे ! अकेले थे, उनका विवाह नहीं हुवा था , या उन्होंने , किसि कारण वश किया नहीं था! सभी लोग उन्हें ऋषि कहते थे ! जब भी उनको पता चलता कि मैं , छुट्टी में घर आया हूँ , गाँव से मुझसे मिलने झालू आ जाते , दूध, फल, मेरे पसंद की सब्जी आदि भी लेकर आते ! मेरी कुशलता के पश्चात गप शप मारते ! मैं, वाराणसी से , BHU से Bsc. के पश्चात घर पर ही रह रहा था! एक दिन मैंने , गाँव में बोला जाने वाली यह प्रसिद्ध कहावत " जाट मरा जब जानिये जब तेहरी तीजा होए " का अर्थ, ऋषी जी से पूछ लिया ! ऋषि जी, तपाक से उठे और बोले, " ना, ना, जाट का कोई भरोसा नहीं , वोह तो तेहरी तीजे के बाद भी उठ कर आ सकता है ! " कुत्छ विराम, तथा हंसी, मजाक के बाद, उन्होंने यह कहानी सुना दी !
रात्रि में, लोमड़ी, गीदड़ , आदि जानवरों को खेतों से बचाने, भगाने के लिए , किसान लोग, खेत में एक मचान बना लेते थे ! वहां बैठकर , रात्री में वोह लोग जानवरों को भगा कर, अपने खेतों की निगरानी तथा रक्षा करते थे ! एक रात को, एक जाट, ऐसे ही , मचान पर बैठ कर अपने खेत की देख भाल कर रहा था ! कुत्छ रात गुजरी होगी , कि उधर से एक साधू महाराज आगये और उन्होंने किसान से रात को उसी के साथ रुक कर विश्राम करने की इच्छा प्रगत की ! रात्री का समय देखते हुए उसने उनको वहां रुक कर विश्राम करने के प्रस्ताव को उचित समझा ! साधू जी , थके हुए थे, कुत्छ ही देर के बाद गहरी निद्रा में सो गए ! किसान, अपनी दैनिक कार्येक्रम के अनुसार जगता रहा ! अकस्मात , उसकी चीलम की चिंगारी से मचान में आग लग गए ! मचान पुरी तरेह से जल गयी , और सारे पिर्यासों के बाद भी, वोह साधू बाबा को नहीं बचा पाया, बाबा, वहीं जल कर भस्म हो गए ! बड़ी दुविधा में पड़ा चोधरी सोच सोच कर परेशान था कि अब किया करना चाहिए ! सुभाह होते, होते, गाँव के सब लोग आ जाएँगे , ब्रह्म हत्या का दोष लगेगा ! उधर पुलिस उसको हत्या के मामले में जेल में बंद कर देगी ! उसने उचित समझा कि वोह वहां से भाग जाये ! गाँव वाले आएंगे , भस्म हुए शरीर को देखेंगे , तो सोच लेंगे कि रात को खेत की रखवाली करने वाला किसान जल कर मर गया है ! वोह वहां से भाग गया और दूर कहीं छुप कर रहेने लगा ! उधर , गाँव वाले आये, देखा कि मचान जली हुई है तथा जले हुए शरीर को पहचान नहीं सकते ! अत , गाँव वाले वापिस चले गए , घर वालों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया ! तेहरी, तीजा, सब हो गया !
समय गुजरता गया , गाँव वाले इस घटना को भूल गए, घर वाले, जाट को भूल गए! जाट, कुत्छ समय के पश्चात , अपने घर वालों से मिलने के लिए बेचैन होने लगा ! वह एक रात को अँधेरे में छुपता, छुपाते , अपने घर आया ! घर वालों को पुकारा, उन्होंने जब उसको देखा तो " भूत, भूत " चिल्लाने लगे ! वह वहां से भाग गया, कई बार कोशिश करते करते, एक दिन वह , घर वालों को समझाने में सफल हो गया कि असली मामला किया था ! कुत्छ दिन वह घर आता रहा , जाता रहा, फिर साहस के उसने गाँव वालों को भी असली घटना के बारे में बता दिया और उन्हें भी यकीन दिला दिया कि वह जीवित है ! उसके बाद से वह गाँव में, अपने परिवार के साथ पहले की भांती रहने लगा
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ऋषि जी ने यह कहानी सुनकर फिर कहा, समझ आया कि जाट मरने के बाद भी जरूरी नही कि मर ही जाये !
रात्रि में, लोमड़ी, गीदड़ , आदि जानवरों को खेतों से बचाने, भगाने के लिए , किसान लोग, खेत में एक मचान बना लेते थे ! वहां बैठकर , रात्री में वोह लोग जानवरों को भगा कर, अपने खेतों की निगरानी तथा रक्षा करते थे ! एक रात को, एक जाट, ऐसे ही , मचान पर बैठ कर अपने खेत की देख भाल कर रहा था ! कुत्छ रात गुजरी होगी , कि उधर से एक साधू महाराज आगये और उन्होंने किसान से रात को उसी के साथ रुक कर विश्राम करने की इच्छा प्रगत की ! रात्री का समय देखते हुए उसने उनको वहां रुक कर विश्राम करने के प्रस्ताव को उचित समझा ! साधू जी , थके हुए थे, कुत्छ ही देर के बाद गहरी निद्रा में सो गए ! किसान, अपनी दैनिक कार्येक्रम के अनुसार जगता रहा ! अकस्मात , उसकी चीलम की चिंगारी से मचान में आग लग गए ! मचान पुरी तरेह से जल गयी , और सारे पिर्यासों के बाद भी, वोह साधू बाबा को नहीं बचा पाया, बाबा, वहीं जल कर भस्म हो गए ! बड़ी दुविधा में पड़ा चोधरी सोच सोच कर परेशान था कि अब किया करना चाहिए ! सुभाह होते, होते, गाँव के सब लोग आ जाएँगे , ब्रह्म हत्या का दोष लगेगा ! उधर पुलिस उसको हत्या के मामले में जेल में बंद कर देगी ! उसने उचित समझा कि वोह वहां से भाग जाये ! गाँव वाले आएंगे , भस्म हुए शरीर को देखेंगे , तो सोच लेंगे कि रात को खेत की रखवाली करने वाला किसान जल कर मर गया है ! वोह वहां से भाग गया और दूर कहीं छुप कर रहेने लगा ! उधर , गाँव वाले आये, देखा कि मचान जली हुई है तथा जले हुए शरीर को पहचान नहीं सकते ! अत , गाँव वाले वापिस चले गए , घर वालों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया ! तेहरी, तीजा, सब हो गया !
समय गुजरता गया , गाँव वाले इस घटना को भूल गए, घर वाले, जाट को भूल गए! जाट, कुत्छ समय के पश्चात , अपने घर वालों से मिलने के लिए बेचैन होने लगा ! वह एक रात को अँधेरे में छुपता, छुपाते , अपने घर आया ! घर वालों को पुकारा, उन्होंने जब उसको देखा तो " भूत, भूत " चिल्लाने लगे ! वह वहां से भाग गया, कई बार कोशिश करते करते, एक दिन वह , घर वालों को समझाने में सफल हो गया कि असली मामला किया था ! कुत्छ दिन वह घर आता रहा , जाता रहा, फिर साहस के उसने गाँव वालों को भी असली घटना के बारे में बता दिया और उन्हें भी यकीन दिला दिया कि वह जीवित है ! उसके बाद से वह गाँव में, अपने परिवार के साथ पहले की भांती रहने लगा
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ऋषि जी ने यह कहानी सुनकर फिर कहा, समझ आया कि जाट मरने के बाद भी जरूरी नही कि मर ही जाये !
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