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Tuesday, September 25, 2018

जाट मरा जब जानिये जब तेहरी तीजा होए ; एक रोचक प्रसंग

झालू के पास एक गाँव है, त्रिलोकपुर ! वाहं , मेरे एक शुभ चिंतक रहते थे  जो मेरे बचपन से ही मेरे साथी थे , मेरी देख रेख भी करते थे ! मुझसे , उन्हें बहुत लगाओ था ! यदा कदा , मुझ से मिलने आते रहते थे ! जाट परिवार से थे ! अकेले थे, उनका विवाह नहीं हुवा था , या उन्होंने , किसि कारण वश किया नहीं था! सभी लोग उन्हें ऋषि कहते थे ! जब भी उनको पता चलता कि  मैं  , छुट्टी  में घर आया हूँ ,  गाँव से मुझसे मिलने झालू आ  जाते , दूध, फल, मेरे पसंद की सब्जी आदि भी लेकर आते ! मेरी कुशलता के पश्चात गप शप मारते ! मैं, वाराणसी से , BHU  से  Bsc. के पश्चात घर पर ही रह रहा था! एक दिन मैंने , गाँव में बोला जाने वाली यह प्रसिद्ध  कहावत  "  जाट मरा जब जानिये जब तेहरी तीजा होए  "  का अर्थ, ऋषी जी से पूछ लिया ! ऋषि  जी, तपाक से उठे और बोले, " ना, ना, जाट का कोई भरोसा नहीं , वोह तो  तेहरी तीजे के बाद भी उठ कर आ सकता है ! " कुत्छ विराम, तथा हंसी,  मजाक के बाद, उन्होंने यह कहानी सुना दी !
रात्रि  में, लोमड़ी,  गीदड़ , आदि जानवरों  को खेतों से बचाने, भगाने के लिए , किसान लोग, खेत में एक मचान बना लेते थे !  वहां  बैठकर , रात्री में वोह लोग जानवरों को भगा कर, अपने खेतों की निगरानी तथा रक्षा करते थे ! एक रात को, एक जाट, ऐसे ही , मचान पर  बैठ कर  अपने  खेत की देख भाल कर रहा था ! कुत्छ रात  गुजरी होगी , कि उधर से एक साधू  महाराज आगये  और उन्होंने किसान से रात को उसी के साथ रुक कर विश्राम करने की इच्छा प्रगत की ! रात्री का समय देखते हुए उसने उनको वहां रुक कर विश्राम करने  के प्रस्ताव को उचित  समझा ! साधू जी , थके हुए थे, कुत्छ ही देर के बाद गहरी निद्रा में  सो गए ! किसान, अपनी दैनिक कार्येक्रम के अनुसार जगता  रहा ! अकस्मात , उसकी चीलम की चिंगारी से मचान में आग लग गए ! मचान पुरी तरेह से जल गयी , और  सारे पिर्यासों के बाद भी, वोह साधू बाबा को नहीं बचा पाया, बाबा,  वहीं जल कर भस्म हो गए ! बड़ी दुविधा में पड़ा  चोधरी  सोच सोच कर परेशान था कि अब किया करना चाहिए ! सुभाह होते, होते, गाँव के सब लोग आ जाएँगे , ब्रह्म हत्या  का दोष लगेगा ! उधर पुलिस उसको हत्या के मामले में जेल में बंद कर देगी ! उसने उचित समझा कि वोह  वहां से भाग जाये ! गाँव वाले आएंगे , भस्म हुए शरीर को देखेंगे , तो सोच लेंगे  कि रात को खेत की रखवाली करने वाला किसान जल कर मर गया है ! वोह वहां से भाग गया और दूर कहीं छुप  कर रहेने लगा ! उधर , गाँव वाले  आये, देखा कि मचान जली हुई है तथा  जले हुए शरीर को पहचान नहीं सकते ! अत  , गाँव वाले वापिस चले गए , घर वालों ने उसका अंतिम संस्कार कर दिया ! तेहरी, तीजा, सब हो गया !
समय गुजरता गया , गाँव वाले इस घटना को भूल गए, घर वाले, जाट को भूल गए! जाट, कुत्छ समय के पश्चात , अपने घर वालों से मिलने के लिए बेचैन होने लगा ! वह एक रात को  अँधेरे  में छुपता, छुपाते , अपने घर आया ! घर वालों को पुकारा, उन्होंने जब उसको देखा तो " भूत, भूत " चिल्लाने लगे ! वह वहां से भाग गया, कई बार कोशिश करते करते, एक दिन वह , घर वालों  को समझाने में सफल हो गया   कि असली  मामला किया था ! कुत्छ दिन वह घर आता रहा , जाता रहा, फिर साहस के उसने गाँव वालों को भी असली घटना के बारे में बता दिया और उन्हें भी यकीन दिला दिया कि वह जीवित है ! उसके बाद से वह गाँव में, अपने परिवार के साथ पहले  की भांती रहने लगा
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ऋषि जी ने यह कहानी सुनकर फिर कहा, समझ  आया कि जाट मरने के बाद भी  जरूरी  नही कि मर ही जाये !

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