हमारे परिवार की परम्परा के अनुसार, हम लोग रक्षा बंधन का पर्व नहीं मानते हैं ! प्र्तियेक वर्ष , बाबाजी, श्रावणी की पूजा के लिए दारानगर गंज जाते थे ! बेलगाडी से, मैं, दादीजी और बाबा जी शीघ्र सवेरे ही गंज की यात्रा पर निकल जाते थे ! वहां जाकर गंगास्नान करते , फिर बाबा जी, अन्य लोगों के साथ पूजा , हवन आदि करते थे! काफी लोग, विभिन, विभिन, स्थानों से श्रावणी पूजन के लिए यहाँ आते थे ! सभी लोग, गांगजी में खड़े होकर अपने अपने यज्ञोपवीत बदलते थे !
सावन का महीना , गंगाजी तो अपने पूरे उफान पर होती हैं ! अत्येअधिक जल तथा गति के साथ बहती हैं ! दुसरा छोर भी दिखाई नहीं देता है ! चारों ओंर जल ही जल दिखाई पड़ता है ! गंगाजी के किनारे अछे पक्के घाट बने हुए हैं ! सुरक्षा के लिए घाटों में कुत्छ सीढ़ियों के बाद , एक मजबूत ज़ंजीर भी डाल कर रखते हैं ! घाटों के दोनों और पक्के पुखते होते हैं , जिस से घाट पर जल का प्रवाह कुत्छ कम हो जाता है और उन्ही पुख्तों में जंजीर भी बाँध देते हैं!
कुत्छ स्थानीय युवक गंगाजी में स्नान करने आते हैं, इस बार भी, काफी युवक आये थे ! यह युवक , उन पुख्तों से कूद कूद कर गंगा जी में तैर कर कुत्छ दूर जाते, फिर पास ही से वापिस आ कर , कूदना, तैरना, निकलना करते ही रहते थे ! बड़ा अछा लगता था, इच्छा होती की मैं भी ऐसा करूं, जब यह कर सकते हैं तो मैं कियों नहीं कर सकता ?
मैं छोटा ही रहा होंगा लग भग १० वर्ष का ! कई बार पुखते पर गया , मन करता कि मैं भी कूद कर यही आनंद लूं जो यह युवक ले रहे हैं! किसी अन्तेह कर्ण की प्रेरणा से बस नहीं कूदा ! बच गया, कंही, कूद गया होता तो, पास में भंवर भी, था, मुझे तो तैरना भी नहीं आता था ! अभी भी तैरना नहीं आता! अब कभी सोचता हूँ , क्लोन करता हूँ उस समय की इस घटना की तो, बस भगवान में विश्वास और बढ़ जाता है कि
उनकी प्रेरणा से मैं नहीं कूदा ! God takes care of every one especially the children who are ignorant of certain actions and their results.
सावन का महीना , गंगाजी तो अपने पूरे उफान पर होती हैं ! अत्येअधिक जल तथा गति के साथ बहती हैं ! दुसरा छोर भी दिखाई नहीं देता है ! चारों ओंर जल ही जल दिखाई पड़ता है ! गंगाजी के किनारे अछे पक्के घाट बने हुए हैं ! सुरक्षा के लिए घाटों में कुत्छ सीढ़ियों के बाद , एक मजबूत ज़ंजीर भी डाल कर रखते हैं ! घाटों के दोनों और पक्के पुखते होते हैं , जिस से घाट पर जल का प्रवाह कुत्छ कम हो जाता है और उन्ही पुख्तों में जंजीर भी बाँध देते हैं!
कुत्छ स्थानीय युवक गंगाजी में स्नान करने आते हैं, इस बार भी, काफी युवक आये थे ! यह युवक , उन पुख्तों से कूद कूद कर गंगा जी में तैर कर कुत्छ दूर जाते, फिर पास ही से वापिस आ कर , कूदना, तैरना, निकलना करते ही रहते थे ! बड़ा अछा लगता था, इच्छा होती की मैं भी ऐसा करूं, जब यह कर सकते हैं तो मैं कियों नहीं कर सकता ?
मैं छोटा ही रहा होंगा लग भग १० वर्ष का ! कई बार पुखते पर गया , मन करता कि मैं भी कूद कर यही आनंद लूं जो यह युवक ले रहे हैं! किसी अन्तेह कर्ण की प्रेरणा से बस नहीं कूदा ! बच गया, कंही, कूद गया होता तो, पास में भंवर भी, था, मुझे तो तैरना भी नहीं आता था ! अभी भी तैरना नहीं आता! अब कभी सोचता हूँ , क्लोन करता हूँ उस समय की इस घटना की तो, बस भगवान में विश्वास और बढ़ जाता है कि
उनकी प्रेरणा से मैं नहीं कूदा ! God takes care of every one especially the children who are ignorant of certain actions and their results.
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