Contact Form

Name

Email *

Message *

Search This Blog

Friday, February 2, 2018

RAVEN: Raven kee Lok Kathayein : : रैवन: रैवन की लोक कथाएँ

रैवन की लोक कथाएँ1
रैवन काले रंग का कौए की तरह का एक पक्षी होता है जो दुनिया में बहुत जगह पाया जाता है पर यह अमेरिका और कैनेडा के उत्तर पश्चिमी हिस्से में रहने वाले मूल निवासियों की लोक कथाओं का हीरो है। अमेरिका और कैनेडा की खोज से पहले अमेरिका और कैनेडा दो देश नहीं थे इसलिये रैवन की कथाओं को अमेरिका के मूल निवासियों की लोक कथा कहना ही ज़्यादा उचित होगा।
अमेरिका के मूल निवासियों में बहुत सारी जनजातियाँ थीं और इन सब में अलग अलग लोक कथाएँ थीं। रैवन की लोक कथाएँ कई जनजातियों में अपने अपने तरीके से कही सुनी जाती थीं और लोकप्रिय थीं।
आजकल रैवन कैनेडा देश के यूकोन प्रान्त और भूटान देश का राष्ट्रीय पक्षी है और भूटान देश की तो यह शाही टोपी में भी लगा हुआ है।
यह अपने काले रंग, सड़े हुए माँस खाने की आदत और कठोर आवाज की वजह से बहुत अपशकुनी माना जाता है पर फिर भी लोग इसको मारते नहीं है। अमेरिका के मूल निवासी इन्डियन्स के कायोटी की तरह से यह भी उनकी लोक कथाओं का एक मुख्य हीरो है। इसकी दुनिया बनाने वाली कहानियाँ बहुत मशहूर हैं।
इसको लोग जन्म और मौत के बीच का बिचौलिया मानते हैं क्योंकि यह सड़ा हुआ माँस खाता है इसलिये इस का रिश्ता मरे हुए लोगों और भूतों से है और क्योंकि इसने दुनिया बनाने में बहुत मदद की है इसलिये इसका रिश्ता ज़िन्दगी से भी है।
रैवन का जिक्र केवल अमेरिका और कैनेडा की लोक कथाओं में ही नहीं है बल्कि ग्रीस और रोम की दंत कथाओं में भी है। रोम की दंत कथाओं में अपोलो जो भविष्यवाणी करता है यह उनसे जुड़ा हुआ है। स्वीडन में इसको कत्ल हुए लोगों का भूत मानते हैं। इंगलैंड में कुछ ऐसा विश्वास है कि यदि रैवन "टावर औफ लंदन" से हटा दिये जायें तो इंगलैंड का राज्य ही खत्म हो जायेगा।
बाइबिल में भी इसका जिक्र कई जगहों पर आया है। टालमुड में रैवन नोआ की नाव के उन तीन जानवरों में से एक है जिन्होंने बाढ़ के समय में लैंगिक सम्बन्ध स्थापित किये थे और इसी लिये नोआ ने उसको सजा दी थी। कुरान में रैवन ने ऐडम के दो बेटे केन और एबिल में से केन को उसके कत्ल किये हुए भाई को दफनाना सिखाया। हिन्दुओं की तुलसीदास जी की लिखी हुई "रामचरित मानस" में यह कागभुशुण्डि जी के रूप में आता है और 27 प्रलय देख चुका है। उसमें यह गरुड़ जी को राम कथा सुनाता है।
प्रशान्त महासागर के उत्तर पूर्व के लोगों में रैवन की जो लोक कथाएँ कही सुनी जाती हैं उनसे पता चलता है कि वे लोग अपने वातावरण के कितने आधीन थे और उसकी कितनी इज़्ज़त करते थे। रैवन मिंक और कायोटी की तरह से कोई भी रूप ले सकता है, जानवर का या आदमी का। वह कहीं भी आ जा सकता है और उसके बारे में यह पहले से कोई भी नहीं बता सकता कि वह क्या करने वाला है। वैसे तो वह बहुत ही चालाक है लेकिन एक बार उसने एक बड़ी सीप में बन्द नंगे लोगों के ऊपर दया दिखायी थी। फिर वह अपनी चालबाजी से उनके लिये शिकार, मछली, आग, कपड़े और ऐसी ऐसी रस्में लेकर आया जो उनको भूतों और आत्माओं के असर से बचा सकती थीं। उसने प्रकृति से लड़ कर उन लोगों को काम के लायक बनाया।
रैवन की भूख बहुत ज़्यादा है और वह अपनी भूख कोई भी चाल खेल कर ही मिटाया करता है पर अक्सर वह चाल उसी पर उलटी पड़ जाती है।