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Wednesday, January 15, 2014

Human Nature for development: मान्व सवभाव : विकास

विकास की ओर अग्रसर होते रहना, मनुष्य का स्वाभाविक गुण है| जन्म से लेकर अंत तक मनुष्‍य, विकास के प्रयास में ही लगा रहता है | शारीरिक, भौतिक , मानसिक , भावात्मक , बौद्धिक  विकास तो, जन्म के साथ ही प्रारम्भ हो जाता है | आयु के साथ साथ आर्थिक एवम अध्यात्मिक विकास भी होता जाता है|  समय तथा परिस्थिति के अनुसार वह अपने इस प्राक्रतिक  गुण का भी विकास करता जाता है|  इस के लिए वह निरन्तर प्रयास  भी करता रहता है; उसके लिए वह, स्कूल जाता है, शिक्षा  प्राप्त करता है, उच्च शिक्षा प्राप्त करता है; अपने ज्ञान को, तथा व्यवसायिक बुद्धि का विकास करता है; अपने व्यवसाय  में आगे बढ़ता जाता ! कही भी बाधा आने पर असंतुष्ट हो जाता है जब कि उसे सफलता के साथ साथ सुख और शांति की अनुभूति होती है| यह क्रम निरंतर चलता ही रहता है! 


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